सोमवार, 13 जुलाई 2009

मेट्रो-हादसा

मेट्रो गिरी
मजदूर मरे
नेता आए
ऑंसू बहाएं
अफसर आए
अफसोस जताए
सबको चिंता मेट्रो की
मेट्रो देश की शान
तरक्‍की की पहचान
इंसान तो
रोज पैदा होते है
इंसान कहां मरा
मरी तो इंसानियत है
मरा तो मजूदर है
जो रोज मरता है।
जो असमय
मरने के लिए ही
पैदा होता है।
विनोद राय

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