लगभग सभी बड़ी कंपनियेां ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के परिणाम घोषित कर दिए है। इन नतीजों से एक आशाजनक तस्वीर उभरकर सामने आती है। इन नतीजों से एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि भारतीय उद्योग जगत पर वैश्विक मंदी का उतना गहरा प्रभाव नहीं पड़ा जितना अन्य देशों पर। आईटी उद्योग की सभी बड़ी कंपनियों ने उम्मीद से बेहतर परिणाम दिए हैं। इन्फोसिस, टीसीएस सहित सभी कंपनियों का मुनाफा 20 प्रतिशत से अधिक का मुनाफा दर्ज किया है। कारण हमारी आईटी कंपनियों का कारोबार डालर में होता है। इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश की वजह से घरेलू बाजार में स्टील, सीमेंट की मांग बढ़ी है। इस कारण सीमेंट व स्टील कंपनियों ने भी शानदार वृद्धि दर्ज की है। एसीसी, ग्रासिम जैसी सीमेंट कंपनियों ने तो 50 प्रतिशत से भी अधिक लाभ दर्ज किया है। हांलाकि स्टील सेक्टर की दो बड़ी कंपनियां नामत: टाटा स्टील एवं सेल ने बिक्री के साथ साथ लाभ में भी कमी दर्ज की है। इससे यह पता चलता है कि रूकी हुई इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी परियोजनाएं पुन: चल पड़ी है। सबसे अच्छे नतीजे हमारे सरकारी क्षेत्र के बैंकों ने प्रस्तुत किए है। निजी बैंकों सहित सभी बैंकों ने 30-40 प्रतिशत लाभ दर्ज किया है। हांलाकि बढ़ता हुआ एनपीए चिंता का कारण हो सकता है। सरकार द्वारा ब्याज दरों में की गई कटौती की वजह से लोग ऋण लेने के इच्छुक है। प्रॉपर्टी बाजार में कीमतों में आई कमी की वजह से ग्राहक पुन: मकान खरीदने के लिए आगे आ रहे है। कच्चे तेल की स्थ्िार कीमतों के कारण सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनियां मुनाफे मे आ गई है। ऐसा उन पर सब्सिडी का बोझ कम होने के कारण हुआ है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा उद्योग जगत को दिए गए 3 राहत पैकेज के प्रभाव दिखाई पड़ने लगे हैं। बाजार में लिक्विडिटी की कमी नहीं है। निर्यात पुन: तेजी का रूख दर्शा रहा है। लगता है कि सब कुछ ठीक रहा तो सरकार द्वारा निर्धारित 9 प्रतिशत की जीडीपी दर हम प्राप्त करने में सफल होंगे। चिंता बजट घाटे को लेकर है जो जीडीपी का 6.8 प्रतिशत हो गया है। साथ ही चिंता सरकार की उधारी को लेकर है। हांलाकि सरकार की अपने उपक्रमों के विनिवेश के माध्यम से कुछ पूंजी जुटाने की योजना है। इस वर्ष मानसून कमजोर है। यदि मानसून की स्थिति यही बनी रहती है तो सरकार का खर्च बढ़ जाएगा अन्यथा इस वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक हम अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में कामयाब होंगे।
विनोद राय