विनोद राय
गुरुवार, 27 अगस्त 2009
बड़ी मछली का भ्रष्टाचार
इस देश के ईमानदार नागरिकों को तब कितना अच्छा लगता है जब शीर्ष पर बैठा हुआ जिम्म्ेादार व्यक्ति देश में व्याप्त्ा भ्रष्टाचार को सख्ती से निपटने की बात करता है। यह कथन तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब भ्रष्टाचार के मामले में बडे लोगों पर कार्रवाई की बात की जाती है। ऐसा सुनकर न केवल अच्छा लगता है बल्कि एक आशा की किरण भी दिखाई देती है कि कम से कम कोई तो इस बात को सोचता है और समझता है कि भ्रष्टाचार के मामले में बडे लोगों पर कार्रवाई होती नहीं दिखती है। अवसर विशेष पर कहने तो प्रधानमंत्री जी ने बहुत बडी बात कह दी पर क्या इस तरह के बयान सीबीआई, एंटी करप्शन ब्यूरो के सम्मेलन में ही कही जा सकती है । क्या इससे यह अर्थ नहीं निकलता है कि भ्रष्टाचार के मामलेों में बडे बच निकले हैं, जबकि उन्हें पकडने, रोकने के लिए भारत सरकार की कई एजेंसिया कार्यरत हैं। यह भी गौर करने योग्य होगा कि पिछले पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान जब भी बडी मछली पकडी गई तो उस पर क्या कार्रवाई हुई। सबसे स्मरणीय उदाहरण मुलायम सिंह यादव, श्री लालू प्रसाद यादव, मायावती और सुखराम जी के हैं। बडे रसूख व पहुंच रखने वाले इन व्यक्तियों पर अब तक क्या कारवाई की गई यह सब जानते हैं। बडो पर तो बडे ही कार्रवाई करेंगे, बिना बडो के सहयोग व समर्थन से बडो पर कौन कार्रवाई करेगा या कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा पावेगा। बडे लोगो को केवल बडी बाते ही नहीं बोलनी हैं बल्कि इस कार्य में लगे कार्मिकों का मनोबल भी बढाना है और उनका मनोबल तभी बढेगा जब इस कार्य के पक्ष में बडे लोगों का अंदर और बाहर दोनो रूपों में समान समर्थन मिलेगा। बडो पर कार्रवाई न होने की वजह से बहुत नागरिक भ्रष्टाचार की तरफ आकर्षित होते है उनको पता है कार्रवाई तो होनी नहीं है, यदि होनी भी है कि इतना समय लग जाएगा कि इसकी गंभीरता जाती रहेगी। भ्रष्टाचार के मामलों में सरकार द्वारा त्वरित कार्रवाई न करने और न्यायपालिका द्वारा ऐसे मामलो को निपटाने में लिया जाने वाला असाधारण समय इस मर्ज को लाइलाज बना रहा है। आज भ्रष्ट कौन नहीं है डाक्टर से लेकर इंजीनियर तक, नेता से लेकर अभिनेता तक, शिक्षक से लेकर प्रशिक्षक तक, व्यापारी से लेकर नौकरशाह तक सब भ्रष्टाचार से लिप्त हैं। भ्रष्टाचार के लिए वे कुछ भी करने को तैयार हैं और जो नहीं है वे अवसर की ताक में हैं। इस मामले में सबका चरित्र एक जैसा हो गया है अथवा हम कहे कि भ्रष्टाचार करना हमारा अखिल भारतीय चरित्र हो गया है तो कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी। ऐसे में केवल कहने से, दम भरने से कार्य नहीं होगा। कथनी को करनी में बदलना होगा। बदलाव के लिए दृढ इच्छा शक्ति दिखानी होगी। कानून की नजरों में सबके साथ एक जैसा व्यवहार करना होगा। बडो को अपने से भ्रष्टाचार को न केवल मुक्त रखना है बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लडी जाने वाली जंग का नेतृत्व भी करना है तभी बात बनेगी, स्थिति सुधरेगी। अन्यथा इस तरह के वक्तव्य महज रसम अदायगी का कार्य करेगे तथा ये कर्णप्रिय लग सकते हैं पर ह्रदयप्रिय कभी नहीं और हम भ्रष्टाचार के दलदल से बाहर निकलने में कभी भी कामयाब नहीं होंगे। जरा सोचे, विचारे फिर व्यवहार करें।
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इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंvery good n right . write more n more on corruption .
जवाब देंहटाएंI THINK IF PM , CMs and DMs ARE NOT CORRUPT ; these three can root out corruption from each and every level . yes there is corruption every where at each level but it comes down from top ; either our top leaders and administrators are corrupt or incompetent and invalid .
one example - see Nitish in BIHAR.
if u want RAMRAJYA , u need a 'RAM'
To make INDIA corruption free we need HONEST BY ALL MEANS ,SINCERE AND HONEST 1- PM 2- CM and 3- DM .