लाखों वर्ष पहले हमारे ऋषि मुनि कह गए थे कि यह संसार असारवान है। यहां कुछ भी स्थाई नहीं है, सब कुछ नश्वर है, केवल आत्मा ही अजर और अमर है। ऐसे में प्राणों से भी अधिक प्यार कुर्सी को देकर हमारे एक नेता ने एक नई अनुभूति पैदा कर दी है। एक क्रांति ला दी है। लोग रोमांचित है, आह्ललादित है, गर्व से भरे हुए है। इस नश्वर संसार में लोगों को कुछ तो अनश्वर दिलाई पड़ा। करोंड़ों वर्षों की ऋषि-मुनियों की तपस्या आज झूठी हो गई। हम कलियुग में है। कलियुग के अपने मानदण्ड है, हम नए प्रतिमान स्थापित करेंगे। तुलसीदास जी को फिर से सोचना होगा कि "प्राण जाय पर वचन न जाय" कितना ठीक है। हमने कुर्सी के महत्व को पहचाना है तथा इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है। हमारा सारा जीवन इसी कुर्सी के लिए ही तो समर्पित है। कुर्सी ही अजर, अमर और सत्य है बाकी बाकी सब असत्य और छलावा है। शास्त्र भी कहता है कि "महाजनों येन गता स: पन्था" बड़े लोग जिस मार्ग पर चले, वही रास्ता है, वही सुमार्ग है, वही सन्मार्ग है। हमें बड़ों के द्वारा दिखाए रास्तों पर चलना चाहिए। ऐसे में बूटा सिंह जी द्वारा दिया गया बयान हमारे समाज के लिए कितना प्रेरणास्पद होगा। जिन्हें कुर्सी का लालच नहीं, उन्हें लज्जित होना चाहिए। उन्हें अपनी अज्ञानता पर शर्म आना चाहिए। उन्हें समझ लेना चाहिए कि उनकी शिक्षा-दीक्षा में कोई कमी रह गई थी। वे संस्कारवान नहीं है। उन्हें विरासत में कुछ नहीं मिला है। वे देश के विकास में क्या योगदान दे पाएंगे जो खुद का विकास नहीं कर सके। अब तक वे अंधकार में जीवन जी रहे थे। उन्हें कोई ज्ञान नहीं है। बूटा सिंह जी केवल अकेले ऐसे आधुनिक भारतीय मनीषी नहीं है जिन्हें कुर्सी प्रिय है। ये तो उसी सशक्त माला के एक दीप्त मोती है। ऐसे अनेकों मनीषियों के बारे में हमारी जानकारी अल्प है। यह खोज का विषय है, अनुसंधान का विषय है, साथ ही चिंता की बात है कि ऐसे उत्तम पुरुषों के बारे में हमारी जानकारी कितनी सीमित है। उम्मीद है ऐसे प्रबल प्रकाशपुंज से करोड़़ों भारतीय लाभान्वित होंगे, उनका चिंतन प्रभावित होगा, परिमार्जित होगा, उनके जीवन से नैराश्य मिटेगा, उनके दु:ख दूर होंगे, उन्हें संसार मोहक व सारवान दिखाई देने लगेगा। वे संसार में निवृत न होकर प्रवृत होंगे, आने वाली पीढ़िया उन्हें प्रात:स्मरणीय के रूप में याद रखेगी। ऐसे कुर्सी प्रेमी, आत्मबलिदानी, देशभक्त नेता को सारे भारतवर्ष का कोटि-कोटि नमन व वंदन।
विनोद राय
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very fine . well expressed of ill- person . he belongs to the family of Rawan .see , how corrupt people r there in Congress .much of it .
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