पिछ्ले एक साल से मुंबई में उत्तर भारतीयों पर लगातार हमले हो रहें है,वहां पर काम कररहे उत्तर भारतीयों को सरेआम पीटा जा रहा है। कुछ लोग तो मुंबई छोड्कर अपने गांव वापस भी लौट आए पर किसी भी राजनितिक दल ने इस पर कोई टिप्पणी नही की। तब किसी भी राजनीतिक दल को उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों का दर्द व पीड़ा नहीं समझ आई। शिव सेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता खुलेआम मीडिया में उत्तर भारतीयों के विरूद्ध व्यक्तव्य देते रहे तथा मुंबई तथा पुणे की सड़कों पर उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसा होती रही। सभी चुप थे। एक दो बयान आते भी थे तो राजनीतिक दलों द्वारा नहीं बल्कि खेल, सिनेमा, साहित्य से जुड़ी हस्तियों के। 6 माह पहले महाराष्ट्र में चुनाव हुए और चुनाव में कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की मिली जुली सरकार चुनकर सत्ता में आई। सत्ता में आने से पहले व सत्तासीन होने के बाद भी इन दोनों दलों ने उत्तर भारतीयों के जानमाल की सुरक्षा के लिए न तो कोई आवश्यक कदम उठाएं और न ही केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस की सरकार ने महाराष्ट्र सरकार को ऐसा कुछ निदेश दिया। कारण साफ था। शिव सेना और मनसे की इस तरह की नीतियों के चलते ही मतों का विभाजन हुआ और जिसका फायदा कांग्रेस और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को मिला। अभी कल ही कांग्रेस महासचिव श्री राहुल गांधी बिहार के दौरे पर गए थे। पटना में छात्रों को संबोधित करते हुए राहुल जी ने बिहारियों और उत्तर भारतीयों की मुंबई में रक्षा करने की हुंकार भरी। इनकी सुरक्षा की चिंता जग उठी। किसी कांग्रेस के नेता द्वारा ऐसा बोलते हुए सुना जाना अच्छा लगा। सोचा कि इस मुद्दे का भी अब हल निकल ही आएगा। पर सोचते हुए मन एक बात पर अटक गया कि आखिर राहुल जी को बिहार दौरे के दौरान उत्तर भारतीयों की सुरक्षा का ध्यान क्यों आया। क्या इसके पहले महाराष्ट्र में हो रही उत्तर भारतीयों के विरूद्ध हिंसा की जानकारी इनको नहीं थी। ऐसा नहीं था। इनकी चुप्पी जानबूझकर थी। महाराष्ट्र में मत विभाजन के उद्देश्य से यह चुप थे तो बिहार में मत मांगने के लिए बोल पड़े। कारण साल के अंत में बिहार में विधान सभा के चुनाव होने वाले है और कांग्रेस को बिहार में अपनी पैठ मजबूत करनी है। मैंने राहुल जी को कई बार बोलते सुना है। उनके व्यक्तव्य धर्मनिरपेक्ष ताकतों को बढ़ावा देने वाले तथा पूरे भारत को एकता में जोड़ने वाले होते हैं लेकिन बिहार दौरे के दौरान बिहारियों की सुध लेने की बात कहना कर राहुल गांधी ने यह सिद्ध कर दिया कि सभी दलों के लिए वोट की राजनीति ही श्रेष्ठ होती है। सत्तासीन होने के लिए किसी वर्ग की जान भी चली जाए तो इसका हमारे राजनीतिज्ञों के ऊपर कोई असर नहीं पड़ता है । कांग्रेस दोबारा सत्ता में धर्मनिरपेक्षता के सहारे लौटी है। महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों को सुरक्षा न दे पाना तथा बिहार में आसन्न चुनाव के मद्देनजर बिहारियों के हितों की बात करना महज एक दिखावा तथा वोट की राजनीति है और इस तरह से कांग्रेस, भाजपा से इस मामले में किसी भी तरह से अलग नहीं है। भारतीय जनता जागरूक है। इन नेताओं को समय आने पर सही सबक भी सिखाएगी।
विनोद राय
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