अंततः मेरी बात सही साबित हुई ।ज्ञानी लोगों की बातो को अज्ञानी लोग हलके में लेते है।इसीलिए पीडा पाते है ।छ्ठे वेतन आयोग की सिफारिश पर हमारे आफिस रामदीन ने कहा था कि साहब, सबसे अधिक फायदा बडे अधिकारियों को हुआ है ।छोटे कर्मचारियों को तो बस झुनझुना थमा दिया गया है ।सरकार भी जानती है कि छोटे कर्मचारी काम तो करते नहीं ,बल्कि जिंदा रहने के लिए व्यायाम करने हेतु आफिस पधारते है इसलिए सरकार भी इन्हें उतना ही वेतन देती है जिससे ये बेसुध अवस्था में चिरंतर पडे रहें ।आखिर इनके जीने के मौलिक अधिकार का भी ध्यान रखना है सरकार को।कल जब मध्यप्रदेश के एक आइ ए एस दंपति के घर से करोडो की नकदी बरामद हुई तो रामदीन सहित अन्य कामचोर कर्मचारियों ने मेरे पैर छुए और मेरे अंतरज्ञान को सराहा। एक ने तो यह भी कहा कि कुछ आपके करम अच्छे होते तो आप भी चांदी काट रहे होते ।खैर मैने एक बार फिर सरकार को कोसा।वेतन आयोग में बड़े अधिकारियों का वेतन का निर्धारण खुद बड़े अधिकारी करते है। अभी वेतन आयोग की सिफारिशे लागू हुए एक साल ही बीता है मिला हुआ एरियर अभी कायदे से पच भी नहीं पाया है ऐसे में हमारे शीर्ष अधिकारी अपना घर चलाने के लिए इतनी जल्दी भ्रष्ट हो जाएंगे अंदेशा तो था पर उम्मीद नहीं थी। पर होनी को कौन टाल सकता है। संप्रति मामले में तो पति-पत्नी दोनों आईएएस अधिकारी है। फिर भी कमी रह गई जिस कारण से इन्हें भ्रष्टाचार करना पड़ा। वैसे भारत जैसी तपोभूमि पर जहां दिन रात साधु संत, महात्मा लोग विभिन्न चैनलों के माध्यम से अनवरत सदाचरण की शिक्षा देते रहते है वहां इस तरह की एकाकी घटना पर ध्यान नहीं देना चाहिए। केवल तुच्छ और अकर्मण्य लोग ही इस पर ध्यान देते है। इस तरह के एकाकी मामले श्रेष्ठ पुरूषों से अनजाने में हो जाता है। क्या पता पकड़े गए धन को अधिकारी पत्नी सहित कुंभ में दान करने के लिए संग्रहीत किया हो तथा शुभ मुहुर्त में हरिद्वार रवाना होने वाले हो ऐसे में सीबीआई द्वारा छापा मारकर इन्हें इस श्रेष्ठ कार्य को करने से विरत करने का दंडोचित कार्य सीबीआई ने किया है। इसकी जितनी निंदा की जाए वह कम है। जनकल्याण के कार्यों में लगाने के लिए संचित धन की यह गति शास्त्रसम्मत नहीं है। धन पकड़ने वालों को केवल धन दिखाई दिया धन स्वामी के मन को इन्होंने नहीं परखा। श्रेष्ठ लोग दूसरे के कल्याण के लिए ही जीवन जीते है, हो सकता है यह संग्रह इन दंपत्ति ने इस प्रयोजन से किया हो। हम छोटे लोग बड़े लोगों के मन की बात क्या जाने। क्षमा करें। मेरा तो सरकार से बस नम्र निवेदन है कि हमारे शीर्ष अधिकारियों को उतना वेतन तो मिलना ही चाहिए जितने में वे आसानी से जीवनयापन कर सके और अपना पूरा ध्यान भारतभूमि की गरीबी मिटाने, गंगा मां को पवित्र करने, प्रदूषण नियंत्रित करने और चरित्र सुधार जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में लगा सके।
विनोद राय
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