शुक्रवार, 26 जून 2009

ग़ज़ल

नाम उसका हुआ नहीं होता
गर वो गिर कर उठा नहीं होता


फैसला वर्षों बाद आए तो
न्याय वो न्याय नहीं होता

दुश्मनी उनसे मोल ले ली पर
ख़त्म ये सिलसिला नहीं होता

अक्स सच्चा दिखा न पाता तो
आइना, आइना नहीं होता

शायरी ऐसा ख़्वाब है जिसमें
कोई छोटा बड़ा नहीं होता

होती मेरी ग़ज़ल मुकम्मल गर
बेतख़ल्लुस लिखा नहीं होता

12 टिप्‍पणियां:

  1. फैसला वर्षों बाद आए तो
    न्याय वो न्याय नहीं होता

    अक्स सच्चा दिखा न पाता तो
    आइना, आइना नहीं होता

    बहुत खूब
    सादगी और सच्चाई से भरी गजल


    सार्थक पोस्ट के लिए मुबारकबाद कबूल करें !


    कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
    लगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है।
    इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !

    तरीका :-
    डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स


    आज की आवाज

    जवाब देंहटाएं
  2. फैसला वर्षों बाद आए तो
    न्याय वो न्याय नहीं होता
    दुश्मनी उनसे मोल ले ली पर
    ख़त्म ये सिलसिला नहीं होता
    अक्स सच्चा दिखा न पाता तो
    आइना, आइना नहीं होता

    बहुत ही लाजवाब शेर हैं.............ग़ज़ल शानदार है

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतर गज़ल...
    रंग-चयन की वज़ह से पढने में थोडा तकलीफ़ हुई...

    शुभकामनाएं....

    जवाब देंहटाएं
  4. हिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |

    जवाब देंहटाएं
  5. आप सब की उत्साह वर्द्धक प्रतिक्रियाओं के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। प्रकाश गोविंद जी, आपके सुझाव के मुताबिक परिवर्तन कर रहा हूँ। आपके रचनात्मक सुझाव के लिए विशेष धन्यवाद। रवि कुमार जी, आइंदा रंग चयन को भी बेहतर करने का प्रयास करूँगा। आशा है आप सबका स्नेह इसी प्रकार बना रहेगा।
    -भूपेन्द्र

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

    जवाब देंहटाएं
  7. संगीता जी, आपकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं